New Property Law (नया प्रॉपर्टी कानून) – देशभर में प्रॉपर्टी और किरायेदारी से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। 10 जुलाई 2025 से केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए प्रॉपर्टी कानून के तहत अब कोई भी किरायेदार या मकान मालिक बिना “डिजिटल स्टांप” के एग्रीमेंट पर रेंट ट्रांजैक्शन नहीं कर सकेगा। इस नियम को तोड़ने पर ₹5,000 का फाइन और 6 महीने तक की जेल की सजा का प्रावधान रखा गया है। ये कानून विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो प्रॉपर्टी किराए पर देते या लेते हैं लेकिन बिना रजिस्ट्रेशन और डिजिटल एग्रीमेंट के यह प्रक्रिया पूरी करते हैं।
क्या है यह नया प्रॉपर्टी कानून?
इस नए कानून के अंतर्गत केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश जारी किए हैं कि 10 जुलाई 2025 से हर किरायेदारी अनुबंध (Rent Agreement) को डिजिटल मोड में स्टांप करना अनिवार्य होगा। यानी अब पारंपरिक पेपर स्टांप की जगह डिजिटल स्टांप ही मान्य होगा।
मुख्य प्रावधान:

- बिना डिजिटल स्टांप के रेंट एग्रीमेंट अमान्य माना जाएगा।
- जुर्माना ₹5,000 और अधिकतम सजा 6 महीने जेल तय की गई है।
- यह नियम मकान मालिक और किरायेदार दोनों पर समान रूप से लागू होगा।
- यह कानून पूरे भारत में प्रभावी होगा।
डिजिटल स्टांप क्या होता है और क्यों जरूरी है?
डिजिटल स्टांप एक इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट होता है जिसे सरकार द्वारा अधिकृत पोर्टल से खरीदा जाता है। यह पारंपरिक स्टांप पेपर की डिजिटल रूपरेखा है। इसमें यूनिक नंबर होता है जो उसे वैध बनाता है।
फायदे:
- फर्जी रेंट एग्रीमेंट से बचाव
- दस्तावेज़ का डिजिटल रिकॉर्ड हमेशा रहेगा
- किसी भी समय, कहीं से भी एक्सेस किया जा सकता है
- सरकार को टैक्स में पारदर्शिता मिलती है
एक्साम्पल:
मेरे एक जानने वाले गौरव जी ने बिना डिजिटल स्टांप के पेपर पर ₹15,000 मासिक किराया एग्रीमेंट साइन किया था। जब उन्होंने सिक्योरिटी डिपॉजिट वापसी को लेकर लीगल नोटिस भेजा, तब अदालत ने उनका एग्रीमेंट ही अमान्य करार दे दिया क्योंकि उसमें डिजिटल स्टांप नहीं था। इससे उन्हें ₹45,000 का नुकसान हुआ।
किन लोगों को सबसे ज्यादा असर पड़ेगा?
- छोटे कस्बों और शहरों में रहने वाले लोग जहां अब भी पेपर एग्रीमेंट पर रेंट दिया जाता है
- वो मकान मालिक जो सालों से बिना रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के किराए पर मकान दे रहे हैं
- किरायेदार जो सिर्फ मुंहजबानी समझौते पर रह रहे हैं
डिजिटल रेंट एग्रीमेंट कैसे बनवाएं?
- स्टेट गवर्नमेंट की अधिकृत साइट या डिजिटल स्टांप विक्रेता वेबसाइट पर जाएं।
- फॉर्म भरें जिसमें मकान मालिक, किरायेदार, किराया राशि और समय सीमा हो।
- डिजिटल स्टांप शुल्क (जो आमतौर पर 0.25% से 0.5% होता है) ऑनलाइन भरें।
- रेंट एग्रीमेंट बनाकर दोनों पक्ष डिजिटल सिग्नेचर करें।
- PDF कॉपी को डाउनलोड करें और ईमेल में सेव रखें।
जुर्माना और सजा से कैसे बचें?
- हमेशा डिजिटल स्टांप का इस्तेमाल करें
- पुराने एग्रीमेंट को भी जुलाई 2025 के बाद रिन्यूअल के समय डिजिटल करें
- स्थानीय संपत्ति वकील या नजदीकी साइबर कैफे से मदद लें
- खुद के और किरायेदार दोनों के पहचान दस्तावेज सुरक्षित रखें
लाइव केस स्टडी:
दिल्ली के एक फ्लैट ओनर मनीष जी ने जुलाई के पहले हफ्ते में डिजिटल स्टांप वाला रेंट एग्रीमेंट किया। उन्हें लोकल पुलिस स्टेशन से एक सर्टिफिकेट मिला कि उनका एग्रीमेंट वैध है। इस वजह से उन्हें किरायेदार से विवाद होने के बाद तुरंत लीगल ऐक्शन लेने में आसानी हुई।
क्यों जरूरी है ये कानून?
- अवैध कब्जे और संपत्ति विवादों को रोकना
- रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता लाना
- टैक्स चोरी को रोकना
- किरायेदारों और मकान मालिक दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
मेरी निजी राय:
मैंने खुद 2023 में जब किराए पर घर लिया था, तब सिर्फ एक सिंपल पेपर पर हस्ताक्षर करके रहना शुरू किया था। बाद में जब मकान मालिक ने रेंट बढ़ाया, तो मेरे पास कोई लीगल डाक्यूमेंट नहीं था। अगर उस समय डिजिटल रेंट एग्रीमेंट होता, तो मैं अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता था। इस नए कानून से लोगों को अपने अधिकार और कर्तव्य समझने में मदद मिलेगी।
नया प्रॉपर्टी कानून: संभावित असर
असर क्षेत्र | पहले क्या होता था | अब क्या होगा |
---|---|---|
किराए का भुगतान | सिर्फ नकद या बैंक ट्रांसफर | डिजिटल स्टांप के साथ दस्तावेज़ |
एग्रीमेंट का फॉर्मेट | पेपर बेस्ड | डिजिटल सिग्नेचर और स्टांप |
विवाद की स्थिति | कोर्ट में केस कमजोर | लीगल आधार मजबूत होगा |
किरायेदार की सुरक्षा | कम | ज्यादा |
टैक्स और रिकॉर्ड | अस्पष्ट | ट्रांसपेरेंट |
ध्यान रखने योग्य बातें
- डिजिटल स्टांप के लिए UIN (Unique Identification Number) अनिवार्य होता है।
- यह स्टांप किसी भी राज्य की अधिकृत वेबसाइट से प्राप्त किया जा सकता है।
- रेंट एग्रीमेंट की अवधि 11 महीने या उससे ज्यादा है तो रजिस्ट्रेशन जरूरी होता है।
10 जुलाई 2025 से लागू यह नया प्रॉपर्टी कानून एक बड़ा और जरूरी कदम है। इससे न केवल मकान मालिक और किरायेदार दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि सरकार को भी टैक्स और रजिस्ट्रेशन में पारदर्शिता मिलेगी। इसलिए अगर आप किराए पर घर दे रहे हैं या ले रहे हैं, तो तुरंत डिजिटल स्टांप और सही एग्रीमेंट कराना शुरू करें। इससे न केवल लीगल सुरक्षा मिलेगी, बल्कि किसी भी प्रकार के भविष्य के विवाद से भी बचा जा सकेगा।
5 जरूरी FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. क्या पुराने रेंट एग्रीमेंट पर यह कानून लागू होगा?
अगर एग्रीमेंट की वैलिडिटी 10 जुलाई 2025 के बाद भी है, तो हां – उसे डिजिटल फॉर्मेट में कन्वर्ट करना जरूरी होगा।
2. डिजिटल स्टांप कहां से खरीदें?
राज्य सरकार की अधिकृत वेबसाइट या डिजिलॉकर आधारित सेवाओं से डिजिटल स्टांप लिया जा सकता है।
3. क्या बिना रेंट एग्रीमेंट के रहने पर भी जुर्माना लगेगा?
अगर मकान मालिक रेंट ले रहा है, और कोई लीगल डॉक्यूमेंट नहीं है, तो जांच के बाद जुर्माना लग सकता है।
4. क्या हर राज्य में यह नियम लागू है?
हां, केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए इस नियम को सभी राज्यों में लागू किया गया है।
5. डिजिटल स्टांप की कीमत कितनी होती है?
यह रेंट अमाउंट और स्टेट नियमों के अनुसार 100 से ₹5000 तक हो सकती है।